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ओजोन परत: हमारे पर्यावरण का सुरक्षा कवच


ओजोन परत, जो पृथ्वी के वायुमंडल की स्ट्रैटोस्फेयर लेयर में स्थित होती है, सूर्य की हानिकारक पराबैंगनी (UV) किरणों को अवशोषित करने में मदद करती है। इस परत में ओजोन (O3) गैस का संग्रह होता है, जो सूरज की UV-B और UV-C किरणों को रोक कर धरती पर जीवन को सुरक्षित बनाती है।


हाल के दशकों में, मानव गतिविधियों के कारण ओजोन परत में पतलापन देखा गया है। विशेष रूप से क्लोरोफ्लोरोकार्बन (CFC) जैसे रसायनों का अत्यधिक प्रयोग ओजोन परत के लिए हानिकारक साबित हुआ है। ये रसायन जब वातावरण में पहुंचते हैं तो ओजोन अणुओं के साथ प्रतिक्रिया करके उन्हें तोड़ देते हैं, जिससे ओजोन परत में छेद या पतलापन आ जाता है। यह समस्या विशेष रूप से अंटार्कटिका के ऊपर अधिक गंभीर है, जहां ओजोन परत में बड़ा छिद्र बन चुका है।


ओजोन परत के पतले होने से UV किरणें सीधे पृथ्वी पर पहुंचने लगती हैं, जो त्वचा कैंसर, आंखों में मोतियाबिंद और पौधों के जीवन चक्र पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती हैं। इसे रोकने के लिए 1987 में मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल लागू किया गया, जिसके तहत CFC और अन्य हानिकारक रसायनों का उपयोग कम करने का प्रयास किया गया।


ओजोन परत को सुरक्षित रखने के लिए हम सभी का योगदान आवश्यक है। हानिकारक रसायनों का कम उपयोग, रीसाइक्लिंग और पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ाना ओजोन परत के संरक्षण में सहायक हो सकते हैं।

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